गीता में भगवान ने कहा है--"जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मेरी कोई शक्ति इस धरा-धाम पर अवतार लेकर भक्तो के दु:ख दूर करती है और धर्म की स्थापना करती है।"भक्त-भय-भंजन, मुनि-मन रंजन, अंजनीसुत श्री बालाजी महाराज जी का घाटा मेंहदीपुर में प्रादुर्भाव इसी उद्देश्य से हुआ है। मर्यादा पुरुषोत्म भगवान श्री राम जी ने परम प्रिय भक्त शिरोमणि पवनकुमार की सेवा भाव से प्रसन्न होकर उन्होने यह वरदान दिया -"हे पवनपुत्र ! कलियुग में तुम्हारी प्रधानदेव के रुप में पूजा होगी। "घाटा मेंहदीपुर में भगवान महावीर बजरंग बली का प्रादुर्भाव वास्तव में इस युग का चमत्कार है।
श्री मेहंदीपुर बालाजी महाराज जी का धाम बहुत ही पावन और चमत्कारिक है। कलयुग में श्री बालाजी महाराज ही प्रधान देव के रूप में हैं। यह स्थान जिला दौसा (राजस्थान) में श्री मेहंदीपुर बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है। जोकि दो पहाड़ियों के बीच बसा है इसलिए दो पहाड़ियों के बीच होने से इन्हें घाटा मेहंदीपुर बालाजी भी कहा जाता है। हनुमान जी ही यहाँ बाल रूप में विधमान हैं। यहाँ श्री बालाजी महाराज, श्री भैरव बाबा जी एवं श्री प्रेतराज सरकार जी साक्षात् विराजमान हैं। श्री बालाजी महाराज के दरबार के सामने ही श्री सीताराम जी का दरबार है। श्री बालाजी महाराज सदा माता सीता जी एवं श्री राम जी का दर्शन करते रहते हैं। यहाँ श्री बालाजी महाराज अपने भक्तो के हर संकट को दूर करते है। यहाँ जो भी भक्त सच्चे मन से अर्जी लगाते हैं बाबा जी उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते है। श्री राम दरबार जी के दरबार से कुछ दूरी पर श्री गणेशपुरी जी का समाधि स्थल है।
जो कि श्री बाला जी महाराज जी के बालपन से ही उपासक थे और प्रथम महन्त गोसाई जी थे उनको भी स्वप्न आया था और अपनी सेवा का भार दिया था। 11 वे महत श्री गणेश पूरी जी हुए जिन्हें हम समाधि वाले बाबा के नाम से बी जानते ह और उन के कार्यकाल में धाम का विस्तार हुआ। जिनका नाम श्री श्री गणेशपुरी जी गोस्वामी था। कोई भी भक्त सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा से श्री बाला जी महाराज के दरबार जाते हैं श्री बाला जी महाराज जी उनको अपने दर से कभी खाली नहीं भेजते। भूत-प्रेत की बाधा, पागलपन, मिर्गी, लकवा,टी.बी., बाँझपन या अन्य किसी भी प्रकार की कोई बीमारी क्यों न हो श्री बालाजी महाराज की कृपा से अति शीघ्र दूर हो जाती है। हालाँकि हम लोग भौतिक विज्ञान के युग में रह रहे हैं किन्तु श्रीबालाजी के स्थान पर आकर आप सब कुछ भूल जाएंगे और तन -मन से श्री चरणो के भक्त बन जाएंगे। जैसा कि कहा गया है- "नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं, मेंहदीपुर धाम में"
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