1. हनुमान मंदिर, इलाहबाद, उत्तर प्रदेश
इलाहबाद किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा वाला एक छोटा किन्तु प्राचीन मंदिर है। यह सम्पूर्ण भारत का केवल एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। रेलवे स्टेशन के पास शहर के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर साल भर खुला रहता है और यहां काफी संख्या में तीर्थयात्री पूजा-अर्चना करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहाँ दर्शनकर भक्तों की मनोकामनाएँ पू्र्ण होती हैं। हनुमान की यहां स्थापित अनूठी प्रतिमा को "प्रयाग का कोतवाल" होने का दर्जा भी हासिल है।
2. हनुमानगढ़ी, अयोध्या
धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। यह मंदिर काफी बड़ा है। मंदिर के चारों ओर निवास योग्य स्थान बने हैं, जिनमें साधु-संत और दर्शनार्थी रहते हैं। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक स्थान हैं।
3. सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, सालासर, राजस्थान :
हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में है। गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम यह मंदिर प्रसिद्ध है। हनुमानजी की यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ से सुशोभित है। यह मंदिर पर्याप्त बड़ा है। चारों ओर यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाएं बनी हुई हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनचाहा वरदान पाते हैं। इस मंदिर के संस्थापक श्री मोहनदासजी बचपन से श्री हनुमान जी के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। माना जाता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा एक किसान को जमीन जोतते समय मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है। यहाँ हर साल भाद्रपद, आश्विन, चैत्र एवं वैशाख की पूर्णिमा के दिन विशाल मेला लगता है।
4. हनुमान धारा, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है। सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन मील है। यह स्थान पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं। धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है। उसे लोग प्रभाती नदी या पाताल गंगा कहते हैं। इस स्थान के बारे में एक कथा इस प्रकार प्रसिद्ध है- श्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्रीरामचंद्र से कहा- हे भगवन! मुझे कोई ऐसा स्थान बतलाइए, जहां लंका दहन से उत्पन्न मेरे शरीर का ताप मिट सके। तब भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया।
5. श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। यहां का वातावरण एकांत, शांत एवं उपासकों के लिए दिव्य साधना स्थली के योग्य है। मंदिर के प्रांगण में श्रीहनुमानजी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर के समीप ही भगवान श्री नृसिंह का मंदिर भी स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है। इस मूर्ति में हनुमानजी दाएं हाथ में भक्तों को अभयदान कर रहे हैं एवं बायां हाथ उनके ह्रदय पर स्थित है। प्रत्येक कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमानजी की सूर्योदय के समय विशेष आरती एवं पूजन समारोह होता है। उसी प्रकार चैत्र पूर्णिमा के दिन यहां श्री हनुमान जयंती महोत्सव होता है। इस अवसर पर श्री हनुमानजी की बैठक की झांकी होती है और चार दिन तक रामायण सम्मेलन महोत्सव एवं संगीत सम्मेलन होता है।
6. श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर, गुजरात
अहमदाबाद-भाव नगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है। यहां एक प्रसिद्ध मारुति प्रतिमा है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी। जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्री हनुमानजी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर स्वामी नारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है।
7. यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी, कर्नाटक
बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में एक हनुमान मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है। संभवतया इसी स्थान पर किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं। इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है।
8. गिरजाबंध हनुमान मंदिर - रतनपुर - छत्तीसगढ़
बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर। इसे महामाया नगरी भी कहते हैं। यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है। खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं। इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता। भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
9. उलटे हनुमान का मंदिर, साँवरे, इंदौर
भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। साँवरे का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया।
10. प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली
यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर उपस्थित हनुमान जी स्वयम्भू हैं। बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है। दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था। तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज्य करते थे। ये दोनों ही कुरु वंश से निकले थे। हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों में द्वितीय भीम को हनुमान जी का भाई माना जाता है। दोनों ही वायु-पुत्र कहे जाते हैं। इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी। ये मंदिर उन्हीं पांच में से एक है।
11. श्री बाल हनुमान मंदिर, जामनगर, गुजरात
सन् 1540 में जामनगर की स्थापना के साथ ही स्थापित यह हनुमान मंदिर, गुजरात के गौरव का प्रतीक है। यहाँ पर सन् 1964 से "श्री राम धुनी" का जाप लगातार चलता आ रहा है, जिस कारण इस मंदिर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।
12. महावीर हनुमान मंदिर, पटना, बिहार
पटना जंक्शन के ठीक सामने महावीर मंदिर के नाम से श्री हनुमान जी का मंदिर है। यह मंदिर बाकि हनुमान मंदिरो से कुछ अलग है। यहा बजरंगबली की 2 मूर्तियां खड़े रूप में है। एक मुर्ती परित्राणाय साधूनाम् अर्थात अच्छे लोगों के कारज पूर्ण करने वाली है और दुसरी मूरत (विनाशाय व दुष्कृताम्) बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है। यह मंदिर पटना रेलवे स्टेशन से निकल कर उत्तर दिशा की निकासी पर थोड़े दूर की दुरी पर स्थित है।
13. श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, तमिलनाडू
तमिलनाडू के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है। यहाँ पर श्री हनुमान जी की "पंचमुख रूप" में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। यहाँ पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्री राम जी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्री राम को ढूँढ़ने के लिए हनुमान जी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारम्भ की थी। और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था। यहाँ पर हनुमान जी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुस्तर संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है।
14. पनकी हनुमान जी कानपुर
ये मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना श्री श्री 1008 महंत पुरुषोत्तम दास जी ने की थी। कहते हैं, कानपुर शहर की स्थापना से पहले पनकी का हनुमान मंदिर स्थापित हो चुका था। ये कहा जाता है कि महंत जी एक बार चित्रकूट से लौट रहे थे। तब जिस स्थान पर पनकी का मंदिर है, वहां पर उन्हें एक इस तरह की चट्टान दिखी जिस पर बजरंगबली को देखा जा सकता था। बस, उन्होंने तब ही उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करने का फैसला किया। अगर आप कानपुर या उसके आसपास के रहने वाले हैं तो आप इस मंदिर में जाकर बजरंगबली का आशीर्वाद ले सकते है।
15.सिद्ध बलि हनुमान जी कोठद्वार उत्तराखंड
सिद्ध बलि हनुमान जी का मंदिर उत्तराखंड राज्य के कोठद्वार जिले में लेन्स डाउन से 38 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यहाँ पे भक्तो द्वारा विश्वास किया जाता है कि जो भी पवित्र भावना से मनौती श्री सिद्ध बलि बाबा से मांगता है तो वह अवश्य पूर्ण होती है। यहाँ पे हर मंगलवार, शनिवार और रविवार को भंडारा करने की परम्परा है। रविवार के भंडारे का विशेष महत्व है जिसमे सिद्ध बलि बाबा के लिए मुख्यारूप से गुड-भेलि का प्रसाद, आटा, घी व गुड से निर्मित रोठ एवं नारियल का प्रसाद चढ़ता है।
16. भदर मारुती मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्रा
भदर मारुती मंदिर श्री हनुमान जी को समर्प्रित मंदिर है। यहा श्री हनुमानजी की मूरत सोने की (निद्रा) या लेटी हुई अवस्था में है। यह मंदिर औरन्गाबाद महाराष्ट्रा में पड़ता है ।इसके करीब ही एलोरा की गुफाये है। यह मंदिर भारत के उन तीन मंदिरो में से एक है जहा श्री बालाजी सोते हुए अवस्था में है। यहा के लोगो के अनुसार यह जगह प्राचीन में भडरावती के नाम से प्रसिद्द था जिसके राजा भद्रसेना थे । राजा भद्रसेना श्री राम के परम भक्त थे और उनकी भक्ति में लगे रह्ते थे। वे उनकी भक्ति में मीठे मीठे भजन गाया करते थे। एक रात्री राजा जब श्री राम के लिए भजन कर रहे थे तब श्री हनुमान उनके पास आकर बेठ गये । मीठे मीठे भजन सुनकर श्री हनुमान राम भक्ति में खो गये और वही लेट् गये । और इस मुद्रा को भद्र समाधी कहा गया । भजन समाप्ती के बाद जब राजा ने श्री हनुमान को इस मुद्रा में देखा तो उनसे विनती की यह मुद्रा इसी तरह बनी रहे।